हम कभी रू-ब-रू तो मिले नहीं,
मग़र प्यार बहुत है....

इक़रार तो है
मग़र इन्तजार बहुत है I

ख्वाहिशें भी है दूसरों की तरह घूमने फिरने की,
मग़र नज़दीकियों में दूरी बहुत है I

मिलने की बात पूछने पर
तुम्हारे हां ना फिर बात पलट देने की आदत से
दिल में उठते सवालात बहुत है II





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