जिसे ग़द्दार कहना था, उसे दिल से लगा बैठे ।
और जिसे दिल से लगाना था, उसे बहना बना बैठे ।
जिनसे चुरानी थी नज़र, उनसे नज़र मिला बैठे,
और जिनसे निग़ाहों ही निग़ाहों में बात करनी थी, उनको लाल नज़रे दिखा बैठे ।
जिनसे बात नही करनी थी, उनको हाल-ए-दिल बयां कर बैठे,
और जिनसे हाल दिल का बयां करना था, उनसे मुँह फुला बैठे ।l
और जिसे दिल से लगाना था, उसे बहना बना बैठे ।
जिनसे चुरानी थी नज़र, उनसे नज़र मिला बैठे,
और जिनसे निग़ाहों ही निग़ाहों में बात करनी थी, उनको लाल नज़रे दिखा बैठे ।
जिनसे बात नही करनी थी, उनको हाल-ए-दिल बयां कर बैठे,
और जिनसे हाल दिल का बयां करना था, उनसे मुँह फुला बैठे ।l
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