रंग भरी इस नगरी में
जीवन के इस सुने पथ पे
कोई प्रियसी, बाट जोहती
अपने प्रिय के आने के ,
हलचल होती है जब जब
आंखे डोलती है तब तब
शायद प्रिय मिलन होगा अब
पर बैरी वो फिर नही आया 
कोई प्रियसी बाट जोहती
अपने प्रिय के आने का ।
केवल जीवन नहीं त्यागती
सपनों को मनमें दाब बैठती
कभी तो निष्ठुर वो आएगा
सूनी बगिया को खिलाएगा
और प्रेम दीप जलाएगा
कभी तो निष्ठुर वो आएगा
कोई प्रियसी बाट जोहती
अपने प्रिय के आने का ।I

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