धुप सुनहरी खिलती है
मन प्रफुलित करती है
नव जीवन की ओर बढ़ाये,
नए पंथ की राह दिखाएं
नव किसलयों को खिलने में
धुप सहारा करती है
नए दिवस को संचालित करके
धुप सुनहरी खिलती है II

तन मन में ऊर्जा भरती है
काम क्रोध सब कम करती है
स्वर्ण किरण की चंचल किरणें
जब धरती पर पड़ती है
धुप सुनहरी खिलती है II

रजत शिखर पर आकर जब
यह प्रकाश दिखाती है
धरती को स्वर्ग बनाकर,
धुप सुनहरी खिलती है
धुप सुनहरी खिलती है II

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