सुख की चाह ना कर तू बन्दे दुःख भी तो संग आएगा I सुख का उजाला पलभर का दुःख का अँधेरा फिर छाएगा करता जा तू कर्म निश्छल मन से प्रभु का तू आशिष पायेगा सुख की चाह ना कर तू बन्दे दुःख भी तो संग आएगा II
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