धुप छांव की वेला पर मिले मनोहर रूप हो तुम
चांदनी भी शर्मा जायें उस कली का फूल हो तुम l

सांसो की तुम एक लड़ी हो
एक नयी तरंग हो तुम,
जीवन भर तुम रहो सलोनी 
कभी ना रहो बेरंग तुम,
पंछी भी शर्मा जायें,
उन्मुक्त गगन की पांख हो तुम I


सुंदर मन की तुम सुंदरी 
होंठो की तुम लाली हो ,
चंचलता की तुम देवी हो 
हर पल संग रहने वाली हो तुम 
रबि भी शर्मा जायें 
उस मन में उजाला करने वाली हो तुम I

तुम सरस सलिल 
तुम पावन सरिता 
तुम मेरे जीवन की सूचिता हो 
नदियां भी शर्मा जायें 
ह्रदय सागर में बहने वाली हो तुम II

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