जीवन और मृत्यु के बीच
सपनों को फिर उमड़ते देखा है
उस पल को फिर पा लेने
जी लेने की तड़प को देखा है
जीवन और मृत्यु के बीच II

मधुर स्वर्णिम पल उस दिन के
बचपन की उन यादों को
कंचो के उन गोलों में
टकराते टकराते बचपन को पलते देखा है
जीवन और मृत्यु के बीच II

त्योहारों की उस रोशनी को
जीवन में नए सवेरे को
पटाखों को फिर फोड़ने की तड़पन को
उस उद्वेलना को फिर से उमड़ते देखा है
जीवन और मृत्यु के बीच II

बंधन के उस कच्चे धागे को
फिर से कलाई पर पा लेने को
उस उत्कंठा को मैंने फिर से देखा है
जीवन और मृत्यु के बीच II

युवा अवस्था की उस अगन को
संघर्ष के उस बादल को
फिर से उमड़ते घुमड़ते देखा है
जीवन और मृत्यु के बीच II

बचपन की उन अटखेलियों को
सपनों की उन लड़ियो को
गम में हँस देने को
सपनों को फिर बुन देने को
फिर  से देखा है
जीवन और मृत्यु के बीच
सपनों को फिर उमड़ते देखा है II

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