ठंडी हवा चंचल चंचल ये अपना रूप दिखाती है
हर जगह अपनी ठंडी शीतलता ये फैलाती है I
नर नारी का भेद ना जाने
सब को खुश कर जाती है,
ठंडी हवा चंचल चंचल ये अपना रूप दिखाती है II
फूलों की सुगंध को लेकर ये आकाश में आती है
आठों यामों में रहकर अपना कार्य निभाती है
कभी ना रूकती कभी थकती
नव संचार ये करती है
ठंडी हवा चंचल चंचल ये अपना रूप दिखाती है II
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