तुम्हारी बचपन-सी अटखेलियों को देख करके
मेरा मन ख़ुशी से फुला ना समाया
इसलिए
देखो हमने टेडी भेज दिया I
तुम ख़ुश हुई देख करके
पुष्पों की तरह मुस्काई
अब तो आलोड़ित कर दीजिए
निश्छलता से सत्य को
देखो हमने टेडी भेज दिया I
आज देख तुम्हारे मन को
क्यों ये मेरा मन बारम्बार कहे
तुम इतना क्यों शर्माती
अब गीत ख़ुशी के क्यों नहीं गाती
देखो हमने टेडी भेज दिया I
Post a Comment