दिल ढूँढता है तुमको
तुमको पता है क्या
मन  सिंचता है इश्क़ को,
तुमको पता है क्या I

रहकर भी दूर तो,फिर भी गिला है क्या
होगी जिधर भी तुम तो पाओगी हरपल,
दिल में बसी हो तुम तो,
तुमको पता है क्या I


चाँद जैसी सूरत
प्यार की हो मूरत,
तुम धुप जैसी उजली,
तुमको पता है क्या I

सरिता जैसी निर्मल
सोभा की गूल मोहर ,
कमल जैसी हो कोमल
तुमको पता है क्या II

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