आजादी के बाद भारत माता के दो पूत हुए I एक सपूत हुआ और दूसरा कपूत I
सपूत समय के साथ-साथ विकास को अग्रसर हुआ वही कपूत अपने बुरे नीति के कारण विनाश को I 
आज हमारा देश जहाँ हर क्षेत्र में ( सामाजिक,आर्थिक,औद्योगिक,सांस्कृतिक ) अपना परचम फेहरा रहा है I
वही दूसरी और हमारा पड़ोसी देश कुंठा की भावना लिए हुआ है I

मेरा सवाल या ये कहा जाए की पुरे देश का सवाल की ??

आजादी मिलने के बाद जब पड़ोसी देश ने बदहाली का रोना रोया तब गाँधी जी ने आर्थिक मदद देने का फैसला किया तब उनकी हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी I जब आर्थिक मदद देने पर किसी की हत्या कर दी जा सकती है तो उन लोगो का क्या करना चाहिए जो कथित रूप से अपने आपको नेता,राजनेता बुद्धिजीवी ( बुद्धि भ्रष्ट ) तथा मानवाधिकार आयोग ( धिक्कार आयोग ) जो हमेशा आतंकवादियों के अधिकारों की बात करते है,इनके समर्थन में आकर खड़े हो जाते है, इन जैसे लोगो का क्या करना चाहिए??? जो हमेशा राष्ट्र विरोधी   ताकतों की वकालत करते है और जब भारत के जवान शहीद हो जाते है तब ये कौन लोग होते है जो अहिंसा का पाठ पढ़ाने लग जाते है और बातचीत से हल निकालने की बात करते है हमारी ऐसे क्या मजबूरियां है जो हम लोग इन जैसे लोगो पर देशद्रोह का केस नहीं चला पाते??? क्या कोई गोडसे इन जैसे लोगो का संहार नहीं कर सकता या इन्हे जन्मभर के लिए सबक नहीं सीखा सकता???

साहब सरकार तो भोपाल नरसंहार के आरोपी को भगा देती है, साथ ही और ना जाने कितने बैंको का घोटाला करने वालो को भी क्या देशहित के लिए नहीं

आओ नमन करे उन माटी के वीरो को
मातृभूमि पर सर्वस्व लुटा दे उन माटी के वीरो का II

जय हिन्द जय भारत         

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