वो ख़ुद क़त्ल करके
क़त्ल के सुराग़ ढूंढ़ती है,

ख़ुद बेरुख होकर
मुझे बेरुख़ी का इल्जाम देती है,

ख़ुद तन्हा करके चली गयी
और मुझे तन्हाई में ढूंढती है,

ख़ुद मुझसे बात नहीं करती
और मेरे ना बात करने का पतंगड़ बनाती है,





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