सुनो ना वो तुम्हें अपना बनाकर छोड़ बैठे है,
कहीं मिल जाए ना अखियां, वो पलकें झुकाकर बैठे हैं ।
कभी आँखों ही आंखों में, हुआ करती थी सब बातें
और अब लफ़्ज़ों को होंठों पर, वो लाना छोड़ बैठे है ।
कभी होती थी उनसे बातें घंटों तलक यूँही,
और अब ब्लॉक करने का वो रिकॉर्ड बना के बैठे है ।
कभी ग़ैरों के चेहरों में वो मुझको नज़र आते थे,
और अब सपनों में भी आना वो तो छोड़ बैठे ।
कभी मंदिर कभी गुरुद्वारे में माँगा करते थे उनके लिए खुशियां
और अब वो तो खुद ही ख़ुदा बन बैठे है ।
कहीं मिल जाए ना अखियां, वो पलकें झुकाकर बैठे हैं ।
कभी आँखों ही आंखों में, हुआ करती थी सब बातें
और अब लफ़्ज़ों को होंठों पर, वो लाना छोड़ बैठे है ।
कभी होती थी उनसे बातें घंटों तलक यूँही,
और अब ब्लॉक करने का वो रिकॉर्ड बना के बैठे है ।
कभी ग़ैरों के चेहरों में वो मुझको नज़र आते थे,
और अब सपनों में भी आना वो तो छोड़ बैठे ।
कभी मंदिर कभी गुरुद्वारे में माँगा करते थे उनके लिए खुशियां
और अब वो तो खुद ही ख़ुदा बन बैठे है ।
Post a Comment