"सूरज फिर निकलेगा" 
रात काली है, मगर डरना नहीं,
अंधेरों में भी एक सपना छिपा है कहीं।
ठहर जरा, ये वक्त भी कट जाएगा,
सूरज फिर निकलेगा, सवेरा मुस्कुराएगा।
काँटों में भी खुशबू का सफ़र होता है,
हर दर्द के पीछे कोई असर होता है।
जो गिरते हैं, वही उड़ना सीखते हैं,
जो रोते हैं, वही जीना सीखते हैं।
हवा चाहे कितनी तेज़ क्यों न चले,
दीया अगर सच्चा हो, बुझता नहीं भले।
रास्ते भटकाएंगे, कदम डगमगाएंगे,
पर हौसले वाले मंज़िल पा जाएंगे।
तो थाम ले अपने दिल की आवाज़ को,
भरोसा रख खुद के अंदाज़ को।
आज नहीं तो कल खिल जाएगी कली,
ज़िंदगी है — हार में भी जीत की गली।
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