दुःख में भी तेरा चेहरा कितना रुच्छ नज़र आता है होकर मतवाला दिल तुझे बार बार बुलाता है, तुम्हें पूरा देखने की फुरसत ही कहा इन निगाहों को तुम्हारी आँखों में ही नूर-ए-हुस्न नज़र आता है II
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