तेरे जाने के बाद
तेरे जाने के बाद यूँ लगा,
कमरा भी मुझसे रूठ गया,
दीवारों ने बोलना छोड़ा,
आईना तक मुझे भूल गया।
तेरी हँसी की कुछ परछाइयाँ
अब भी कोनों में सोई हैं,
कभी-कभी रातें जाग उठतीं,
उनकी यादें रोई हैं।
किताबों में तेरी खुशबू थी,
आज पन्ने भी सूने हैं,
जो चोटें दिल में भरनी थीं,
वो सारे ज़ख़्म जून वे हैं।
मैंने खुद को लाख समझाया,
“समय हर घाव भर देता है…”
पर तुझे भुलाने का वक़्त भी,
तेरे एहसास में मर जाता है।

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