मन की खिड़की खोल के देखो,
कितनी धूप पड़ी है अंदर,
कल तक जिस पर धूल जमी थी,
आज वही चमक रहा है अंबर।

छोटे-छोटे सपनों की कच्ची
इक सीढ़ी सी बन जाती है,
जब दिल की चुप शांत ज़मीन पर
मुस्कानों की बारिश होती है।

रास्ता चाहे लंबा कितना,
हौसलों से कट जाता है,
जो खुद पर विश्वास करे
वो दुनिया से लड़ जाता है।

जीवन है इक खुली किताब,
हर पन्ना कुछ कह जाता है,
जितना तुम मुस्कान बाँटो—
उतना सुख रह जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं